परिचय: NISAR सैटेलाइट क्यों है खास?
भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियों, ISRO और NASA, ने मिलकर एक ऐतिहासिक मिशन तैयार किया है—NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar)। यह उपग्रह 30 जुलाई 2025 को GSLV-F14 रॉकेट की मदद से श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा। NISAR दुनिया का पहला ऐसा सैटेलाइट होगा जो L-बैंड और S-बैंड के ड्यूल फ्रीक्वेंसी रडार का उपयोग करके पृथ्वी की सतह की अत्यंत सटीक तस्वीरें लेगा।
इस लेख में आप जानेंगे:
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NISAR सैटेलाइट क्या है और यह कैसे काम करेगा?
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इसकी लॉन्चिंग कब और कैसे होगी?
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यह मिशन जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से कैसे निपटने में मदद करेगा?
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NISAR का डेटा किसके लिए उपयोगी होगा?
NISAR सैटेलाइट: मुख्य विशेषताएं
| पैरामीटर | विवरण |
|---|---|
| लॉन्च तिथि | 30 जुलाई 2025 |
| लॉन्च वाहन | GSLV-F14 (ISRO) |
| कक्षा | 747 किमी की ऊंचाई पर सन-सिंक्रोनस |
| मिशन अवधि | 3 वर्ष (संभावित विस्तार: 5 वर्ष) |
| वजन | 2,800 किलोग्राम |
| रडार प्रकार | L-बैंड (NASA) + S-बैंड (ISRO) |
| डेटा एक्सेस | सार्वजनिक और निःशुल्क |
NISAR सैटेलाइट क्या करेगा?
NISAR सैटेलाइट पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों को हर 12 दिन में दो बार स्कैन करेगा। इसकी प्रमुख भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:
1. जलवायु परिवर्तन पर नजर रखना
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ग्लेशियरों के पिघलने की दर को मापेगा।
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वनों की कटाई और पुनर्जनन पर नज़र रखेगा।
2. प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी
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भूकंप, सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने में मदद करेगा।
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बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं का विश्लेषण करेगा।
3. कृषि और जल संसाधन प्रबंधन
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मिट्टी की नमी और फसलों के स्वास्थ्य का आकलन करेगा।
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भूजल स्तर में हो रहे बदलावों को ट्रैक करेगा।
NISAR सैटेलाइट कैसे काम करेगा?
NISAR में दो अत्याधुनिक रडार सिस्टम लगे हैं:
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L-बैंड रडार (NASA द्वारा प्रदत्त)
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24 सेमी वेवलेंथ के साथ गहरे वनस्पति आवरण को पार कर सकता है।
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ग्लेशियर और जमीन की हलचल को ट्रैक करने के लिए उपयोगी।
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S-बैंड रडार (ISRO द्वारा प्रदत्त)
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9 सेमी वेवलेंथ के साथ मिट्टी की नमी और हल्की वनस्पति का अध्ययन करेगा।
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कृषि और तटीय निगरानी के लिए महत्वपूर्ण।
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इन दोनों रडारों का समन्वित उपयोग पृथ्वी की सतह की अत्यंत सूक्ष्म तस्वीरें (3-10 मीटर रिज़ॉल्यूशन) खींचेगा, जो वर्तमान में उपलब्ध अधिकांश अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट्स से कहीं अधिक विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।
लॉन्च कब और कैसे होगा?
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तिथि: 30 जुलाई 2025
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समय: सुबह 8:10 AM EDT (भारतीय समयानुसार 5:40 PM IST)
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स्थान: सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा
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रॉकेट: ISRO का GSLV-F14
NASA और ISRO इस लॉन्च की लाइव स्ट्रीमिंग YouTube और अपनी आधिकारिक वेबसाइट्स पर प्रदान करेंगे।
यह मिशन क्यों महत्वपूर्ण है?
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पहला NASA-ISRO संयुक्त मिशन – यह दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक सहयोग का एक बड़ा उदाहरण है।
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ड्यूल फ्रीक्वेंसी रडार तकनीक – पहली बार L और S बैंड रडार का एक साथ उपयोग किया जा रहा है।
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जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन – यह डेटा वैज्ञानिकों और सरकारों को बेहतर निर्णय लेने में मदद करेगा।
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मुफ्त और सार्वजनिक डेटा – शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए यह जानकारी उपलब्ध होगी।
निष्कर्ष: NISAR मिशन का भविष्य
NISAR सैटेलाइट न केवल विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह भारत और अमेरिका के बीच तकनीकी सहयोग को भी मजबूत करेगा। इससे प्राप्त डेटा जलवायु परिवर्तन, कृषि, और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
FAQ: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. NISAR सैटेलाइट का पूरा नाम क्या है?
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NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR)
Q2. NISAR की लॉन्चिंग किस रॉकेट से होगी?
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ISRO के GSLV-F14 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा।
Q3. क्या NISAR का डेटा सामान्य जनता के लिए उपलब्ध होगा?
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हाँ, सभी डेटा सार्वजनिक और निःशुल्क होगा।
Q4. NISAR सैटेलाइट कितने साल तक काम करेगा?
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3 साल (संभावित रूप से 5 साल तक)
Q5. NISAR मिशन की कुल लागत कितनी है?
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$1.5 बिलियन (लगभग 12,500 करोड़ रुपये)
अंतिम विचार:
NISAR सैटेलाइट मानवता के लिए एक बड़ा कदम है, जो पृथ्वी के रहस्यों को समझने और उसकी रक्षा करने में मदद करेगा। 30 जुलाई 2025 को इसके लॉन्च का इंतज़ार कीजिए!




